दुबई: सऊदी अरब अपने सख्त कानूनों और मानवाधिकारों के रेकॉर्ड को लेकर पूरी दुनिया में निशाने पर रहता है। अब सऊदी अरब का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है जिसमें एक महिला को बुरी तरह से पीटा जा रहा है। महिला के बाल पकड़कर उसे घसीटा गया और लातों से मारा गया। इस वीडियो के लीक होने के बाद पूरी दुनिया जमकर गुस्सा देखा जा रहा है और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के निशाने पर एक बार फिर से प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान आ गए हैं। उनका कहना है कि प्रिंस के राज में लगातार सऊदी अरब में उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ गई हैं।
बताया जा रहा है कि यह वीडियो एक अनाथालय का है। इस वीडियो के वायरल होने के बाद सऊदी सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। इस वीडियो को पहले एक महिला ने ट्विटर पर पोस्ट किया था जिसने इस हमले को रिकॉर्ड किया था। इस वीडियो में नजर आ रहा है कि वर्दी पहने दर्जनों पुरुष पुलिसकर्मी एक महिला का पीछा कर रहे हैं। इसके बाद वे उसे पकड़ लेते हैं और लाठी तथा बेल्ट से महिला की जमकर पिटाई करते हैं। एक अन्य पुलिसकर्मी बेल्ट से महिला पर वार करते हुए दिख रहा है।
??? The brutal Saudi attack on an orphanage!
Security men in Saudi Arabia storm an orphanage in Khamis Mushit province of Saudi Arabia and brutally assault orphan girls.
This is the reality of "Women Rights" in Saudi Arabia@hrw @amnesty @UN #womensday pic.twitter.com/PsMh4FDNPM
— Haidar Akarar (@HaidarAkarar) August 31, 2022
‘महिलाओं के अधिकारों के दमन का एक और उदाहरण’
बताया जा रहा है कि यह अनाथालय खमिस मुशैत इलाके में स्थित है जो असीर प्रांत का हिस्सा है। यह राजधानी रियाद से 884 किमी दूर है। इस वीडियो के सामने आने के बाद प्रांत के गवर्नर तुर्की बिन तलाल ने आदेश दिया है कि एक कमिटी बनाई जाए और ‘सभी पक्षों’ की जांच की जाए। बुधवार को यह वीडियो सऊदी अरब में खमीस मुसैत अनाथालय के नाम से सोशल मीडिया में ट्रेंड कर रहा था। इस बीच सऊदी अरब के मानवाधिकार संगठनों ने वीडियो आने के बाद पुलिस की क्रूरता की कड़ी निंदा की है।
मानवाधिकार संगठनों ने कहा कि यह मोहम्मद बिन सलमान के शासन काल में सऊदी अरब सरकार के महिलाओं के अधिकारों के दमन का एक और उदाहरण है। साल 2017 में सऊदी अरब के अघोषित प्रमुख बनने के बाद क्राउन प्रिंस ने देश में अपने विरोधियों की आवाज को दबाने के लिए कई कार्रवाई की है जबकि वह खुद को एक सुधारवादी होने का दावा करते हैं। इस कार्रवाई के दौरान राजनीतिक विरोधियों, शियाओं और महिला कार्यकर्ताओं की आवाज को दबाया गया है। जमाल खशोगी की हत्या के बाद प्रिंस पहले ही दुनिया के निशाने पर हैं।