ट्विटर और वॉट्सऐप इस्तेमाल करने पर सऊदी अरब में Law प्रोफेसर को सजा-ए-मौत !

सऊदी अरब में लॉ के एक मशहूर प्रोफेसर को मौत की सजा सुनाई गई है. प्रोफेसर को यह सजा सिर्फ ट्विटर अकाउंट रखने और राज्य के लिए “शत्रुतापूर्ण” माने जाने वाले ख़बरों को शेयर करने के लिए व्हाट्सएप का इस्तेमास करने सहित अपराधों के लिए दी गई है. ऐसा क्या शेयर किया उन्होंने की सऊदी हुकूमत ने सजाए मौत दे दी !

अल-क़रनी को 2017 में किया गया गिरफ्तार

दरअसल सऊदी किंगडम में 65 साल के अवध अल-क़रनी को 2017 में सऊदी सरकार द्वारा असहमति के खिलाफ एक कार्रवाई में गिरफ्तार किया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी नियंत्रित मीडिया में अल-क़रनी को एक खतरनाक उपदेशक के तौर पर बताया गया है. हालांकि, विरोधियों का कहना है कि अल-क़रनी सोशल मीडिया पर महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध बुद्धिजीवी थे, उनके ट्विटर अकाउंट पर 20 लाख फॉलोअर्स थे. अल करऩी पर लगे आरोपों का खुलासा उनके बेटे नासेर ने किया है जो कि सऊदी अरब से भाग कर UK चले गए थे जहां उन्होंने शरण ली थी.

मानवाधिकार अधिवक्ताओं और निर्वासन में रहने वाले सऊदी विरोधियों ने चेतावनी दी है कि सऊदी अरब साम्राज्य में अधिकारी सरकार के आलोचक माने जाने वाले व्यक्तियों पर एक नई और गंभीर कार्रवाई में लगे हुए हैं. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब क्राउन प्रिंस ने किसी ‘सऊदी विरोधी’ को निशाना बनाया हो.

सऊदी अरब हमेशा से खौफनाक सजाओं के लिए जाना जाता

सऊदी अरब हमेशा से ही अपने अजीब नियम-कानून और खौफनाक सजाओं के लिए जाना जाता रहा है. माना जाता है कि यहां नियमों का काफी सख्ती से पालन किया जाता है. जुर्म करने वालों को सऊदी में बख्शा नहीं जाता. हालांकि, समय के साथ सऊदी अरब में भी चीजें बदली और सजाओं में थोड़ी रियायत देखने को मिली. लेकिन, एक बार फिर सऊदी में सख्त सजा की खबर सामने आने लगी है, जिसे जनाकर आप हैरान रह जाएंगे.

अभी कुछ ही दिन पहले एक खबर तेज़ी से चली है जहाँ सऊदी अरब ने दो साल के अंतराल के बाद ड्रग से जुड़े केस में 10 दिनों में 12 लोगों को मौत की सजा सुनाई. इसे लेकर एक संगठन ने भी दावा किया है और कहा गया कि जिन्हें सजा मिली वो अधिकतर प्रवासी हैं. इसमें पाकिस्तान, सीरिया और जॉर्डन के रहने वाले लोग भी शामिल हैं. सभी पर ड्रग्स संबंधित नियम तोड़ने का आरोप लगा था.

मार्च में 81 लोगों को मौत की सजा

पिछले साल मार्च में सऊदी सरकार ने 81 लोगों को मौत की सजा सुनाई थी. इन आरोपियों में अधिकतर उग्रवादी संगठनों से जुड़े हुए थे. माना जा रहा है कि मॉर्डन सऊदी में यह अब तक की सबसे बड़ी सजा है, जो किसी गुन्हेगार को मिली है,,,,,,,,,,,,,,,सऊदी अरब में इस मामलों में गैर इरादतन हत्‍या, हत्‍या की प्लानिंग, आंतकवादी गतिविधियां, दुष्‍कर्म, समलैंगिक संबंध, सेंधमारी, चोरी, डकैती, जासूसी, धर्म के खिलाफ व्‍यवहार, नशीली दवाओं का सेवन और ब्रिकी के मामले में कानून काफी सख्‍त है,,,,,,,,,,,,,,,,,इन अपराधों पर मौत दंड का प्रावधान है।

वैसे साल 2020 में सऊदी अरब में गैर व्‍यस्‍कों यानी बच्‍चों को उनके अपराध के लिए मौत की सजा नहीं दी जाएगी। साथ ही सऊदी में कोड़े की सजा पर भी रोक लगाई गई थी। सऊदी ने बाल अधिकारों को लेकर संयुक्‍त राष्‍ट्र के कन्‍वेंशन पर दस्‍तखत किए हैं। इस कन्‍वेंशन के मुताबिक गैर वयस्‍कों को उनके अपराध के लिए मौत की सजा नहीं दी जाएगी। मानवाधिकारों के मामले में सऊदी की स्थिति काफी चिंताजनक है। सऊदी में अभिव्‍यक्ति की आजादी को बुरी तरह से दबाया जाता है। सरकार की निंदा करने पर सख्‍त सजा दी जाती है।

भारत सहित 33 देशों में मृत्‍युदंड का एकमात्र तरीका फांसी

दुनिया में 58 देशों में सजा-ए-मौत के लिए फांसी दिए जाने का प्रावधान है। 73 मुल्‍कों में मौत की सजा के लिए गोली मारे जाने का प्रावधान है। भारत सहित 33 देशों में मृत्‍युदंड का एकमात्र तरीका फांसी है। इसके अलावा छह मुल्‍कों में स्‍टोनिंग यानी पत्‍थर मारकर यह दंड दिया जाता है। दुनिया के पांच मुल्‍कों में इंजेक्‍शन देकर भी मौत दी जाती है। इन सब के अलावा सऊदी अरब देश का कानून यानी शरिया लॉ तय करता है। इसलिए सऊदी अरब दुनिया के उन मुल्‍कों में है, जहां सबसे ज्‍यादा कठोर काननू है।

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