सऊदी अरब में अभी अभी हज यात्रा सफल हुआ है. विदेशी हाजी अब अपने अपने वतन लौटने की तैयारी में है. मगर हज यात्रा पर गए कई लोगों को एक हादसा तो याद होगा जो आज से लगभग 30 साल पहले हुई थी. साल 1990 3 जुलाई को एक ऐसा घातक और खौफनाक हादसा हुआ जिसमे हज़ारों की संख्या में हाजी मारे गए थे.
जानिए मक्का मदीना में कैसे हुआ इतना बड़ा हादसा
दरअसल सऊदी अरब में स्थित मक्का की अल-मआजिम सुरंग में अचानक से भगदड़ मच गई थी. जानकारी के अनुसार, इस हादसे में 1426 हज यात्री मारे गए थे. ये वही सुरंग है, जो मक्का को मिना से जोड़ने का काम करती है. सुरंग की बात करें, तो यह 550 मीटर लंबी (1800 फीट) और 10 मीटर तक चौड़ी (35 फीट) है. ये सुरंग मक्का के आसपास की पवित्र जगहों पर इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण करने के लिए शुरू किए गए 15 बिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट का ही हिस्सा थी. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत सऊदी अरब सरकार ने हादसे से दो साल पहले की थी.
1 हज़ार की जगह 5 हज़ार लोग थे टनल में मौजूद
जब तीर्थयात्री सुबह शैतान को पत्थर मारने की प्रक्रिया कर रहे थे. उसी दौरान टनल में भगदड़ मच गयी. हादसा ऐसा हुआ कि पैदल यात्रा के लिए इस्तेमाल होने वाले एक पुल की रेलिंग मुड़ गई थी, जिससे सात लोग पुल से नीच गिर गए. गिरने वाले 7 लोग ये लोग सुरंग से बाहर निकलने वाले लोगों के ऊपर गिर गए थे. सुरंग में केवल 1000 लोगों की क्षमता थी, जबकि 3 जुलाई को इसमें 5000 लोग थे. वहीं बाहर तापमान 44 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था. सुरंग का वेंटिलेशन सिस्टम भी तब तक फेल हो गया. इसकी वजह से भी कई लोगों की मौत हुई.
मारे जाने वाले ज़्यादातर तीर्थयात्री इस देश के थे
जिन लोगों की इस हादसे में मौत हुई उनमें से अधिकतर मलेशिया, इंडोनेशिया और पाकिस्तान मूल के थे. हादसे के तुरंत बाद किंग फहाद ने कहा था कि घटना ‘खुदा की मर्जी से हुई है, जो सबसे ऊपर है. इंडोनेशिया से कई लोग मरे थे. इंडोनेशिया के अधिकारियों ने सऊदी अरब सरकार की निंदा की थी. उन्होंने कहा था कि खुदा की मर्जी बताकर सऊदी अरब सरकार सुरंग हादसे की जिम्मेदारी लेने से बच नहीं सकती है.