सऊदी अरब में 26 साल के राम मिलन का निधन हो चुका है और उसके के श/व का इंतज़ार में परिवार आँखे पथरा गयी हैं. उत्तर प्रदेश के कौशांबी के ‘अमुरा’ गांव में उनका परिवार रहता है. राम मिलन से अंतिम बार बात उनकी माता नत्थी देवी ने 18 अगस्त की सुबह करी थी. उस दिन ड्यूटी पर जाने से पहले राम मिलन ने वीडियो कॉल की थी.
बातचीत के दौरान उसने कहा कि “अम्मा मुझे सीने में दर्द हो रहा है. उसके बाद उसने अपनी शर्ट उतार कर दिखाया कि अम्मा देखिए कितना पसीना आ रहा है.” माँ ने आराम करने को कहा था, इसके बाद राममिलन ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दी. वहीँ राम की पत्नी ने भी कहा पति के सीने में दर्द वाली बात से मैं बहुत परेशान थी. इसलिए खाना बनाने के बाद लगभग 11 बजे से मैंने उनको कॉल लगाना शुरू किया. लेकिन उनसे बात नहीं हुई. उसके बाद पुणे में रहने वाले मेरे भाई ने शाम को कॉल कर के बताया कि राम मिलन की हार्ट अटैक से निधन हो गया है. ये ख़बर उन्होंने फ़ेसबुक पर उनके किसी मित्र की टाइमलाइन पर पढ़ी.”
राम मिलन की मौत 18 अगस्त 2022 को सऊदी अरब के दम्माम शहर में हो गई थी जहां राम मिलन ‘प्रिंस मोहम्मद बिन फ़हद यूनिवर्सिटी’ में सफ़ाई कर्मचारी थे. “बेटे की मौत की ख़बर के बाद घर में दस दिन तक चूल्हा नहीं जला. पास-पड़ोस व रिश्तेदार दो वक़्त के खाने की व्यवस्था करते थे. लेकिन ये कब तक चलता क्योंकि बेटे का श/व न आने के कारण शोक की अवधि बढ़ती जा रही थी.”
राम मिलन की पत्नी राजवंती ने बताया कि दोनों बेटियों को बेहतर शिक्षा मिल सके, ये सपना आंखों में संजोए ही उनके पति सऊदी अरब गए थे. मां नत्थी देवी ने बताया कि बेटे को अरब भेजने में एक लाख तीस हज़ार रुपये ख़र्च हुए थे. इनमें से लगभग 85 हज़ार रुपये मैंने रिश्तेदारों से क़र्ज़ लिया, जो अभी तक अदा नहीं हो सका है. जबकि कुछ रक़म मेरी बहू ने अपने गहने बेचकर जुटाई.”
राम मिलन के बक़ाया वेतन पर दम्माम में मौजूद उनके सुपरवाइज़र सूर्या नारायण ने बताया कि उनकी कंपनी ने पेमेंट की प्रक्रिया पूरी कर दी है. जो जल्द ही राम मिलन के परिवार को भेज दी जाएगी. राम मिलन की मौत को 40 दिन गुज़र चुके हैं. लेकिन उनका शव अभी तक भारत नहीं आया. राममिलन के गांव ‘अमुरा’ की आबादी मिश्रित है. 20 घर यादव, 45 घर लोधी समाज के हैं, 20 घर मुस्लिमों के होंगे, जबकि एससी समाज के पचास घर हैं. इस गांव के सभी समाजों के युवा खाड़ी के देशों में काम करते हैं.