10 लाख मुसलमानों की लगी भीड़
सऊदी अरब में पूरे दो साल के बाद हज पूरे ज़ोर से शुरू हुआ है और ऐसे में हज मंत्रालय ने ज़ायरीनों के लिए सारे पुख्ता इंतज़ाम कर लिए हैं. ताकि हज यात्रा के दौरान परेशानी न हो. इस बार दुनियाभर के 10 लाख मुसलमान हज में हिस्सा ले रहे हैं. हज के दौरान ज़ायरीन “लब्बैका अल्लाहुम्मा लब्बैक .. लब्बैका ला शरीका लका लब्बैक… इन्नल-हम्दा वन्ने-मता लका वल-मुल्क, ला शरीका लक” लगातार क्यों बोलते रहते हैं. आईये आज आपको इस हज मौसम के दौरान ये जानकारी देते हैं.

जानिए क्यों बोला जाता है “लब्बैका अल्लाहुम्मा लब्बैक
“लब्बैका अल्लाहुम्मा लब्बैक .. लब्बैका ला शरीका लका लब्बैक… इन्नल-हम्दा वन्ने-मता लका वल-मुल्क, ला शरीका लक” यही वह तल्बियह है जिसे हज्ज व उमराह करने वाले पुकारते हैं। इसका मतलब क्या है आईये जानते हैं. हाजी के हज्ज में प्रवेश करने के प्रथम पल से ही हज्ज तौहीद (एकेश्वरवाद) का प्रतीक है। जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु अन्हु नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के हज के तरीके का खुलासा करते हुए कहते हैं कि “फिर आपने यह कहते हुए तौहीद के साथ अपनी आवाज़ को बुलन्द किया : “लब्बैका अल्लाहुम्मा लब्बैक .. लब्बैका ला शरीका लका लब्बैक .. इन्नल-हम्दा वन्ने-मता लका वल-मुल्क, ला शरीका लक’’ (अर्थात : मैं हाज़िर हूँ, ऐ अल्लाह मैं हाज़िर हूँ .. मैं हाज़िर हूँ, तेरा कोई शरीक नहीं, मैं हाज़िर हूँ .. बेशक हर तरह की तरफ, सभी नेमतें, और सभी संप्रभुता तेरी ही है। तेरा कोई शरीक नहीं।) इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।

अनस रज़ियल्लाहु अन्हु ने रसुलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के तल्बियह का वर्णन करते हुए कहा कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “मैं उम्रा के लिए हाज़िर हूँ, जिसमें कोई दिखावा नहीं है.”