अरब देश मिस्र में रहने वाले एक व्यक्ति हबाशी ने अपना नाम यौन इच्छा से जुड़ी प्राकृतिक दवाईयों में बनाया है. राजधानी काहिरा में कामोत्तेजक और प्राकृतिक यौन इच्छा बढ़ाने के लिए इस दुकानदार ने बहुत लोगों का इलाज किया है. मगर कुछ सालों में उन्होंने अपने ग्राहक से कुछ अलग ही तरह की मांग देखी है.
युवा पुरुष बहुत कर रहे इसका सेवन
दुकानदार हबीशी ने कहा कि “अब ज़्यादातर पुरुष नीली गोलियां ले जा रहे हैं जो पश्चिम की कंपनियों से आती हैं.” अरब देशों के युवा पुरुष सिल्डेनाफिल (जो व्यावसायिक रूप से वियाग्रा के रूप में जाना जाता है), वार्डेनाफिल (लेविट्रा, स्टैक्सिन) और ताडालाफिल (सियालिस) जैसी ड्रग्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. मिस्र और बहरीन की सड़कों पर जिस किसी भी व्यक्ति से ये पूछा कि क्या वो इरेक्टाइल से जुड़ी समस्याओं के कारण इसे ले रहे हैं तो ज़्यादातर युवा पुरुषों ने साफ़ इनकार कर दिया और बहुत ने तो कहा कि उन्होंने ऐसी कोई चीज़ नहीं सुनी है.
सऊदी अरब लिस्ट में सबसे ऊपर
वास्तव में, 2012 में हुई एक स्टडी के मुताबिक अरब देशों में प्रति व्यक्ति एंटी इम्पोटेंसी ड्रग के मामले में मिस्र सबसे बड़ा उपभोक्ता है. सऊदी अरब इस लिस्ट में सबसे ऊपर है. सऊदी के एक सूत्र ने तब अनुमान लगाया था कि सऊदी अरब ने यौन इच्छा जगाने वाली गोलियों पर सालाना 1.5 बिलियन डॉलर खर्च किए थे. उसके मुताबिक, सऊदी अरब में इसकी खपत रूस की तुलना में लगभग 10 गुना थी. मिस्र अब भी शीर्ष स्थान पर मौजूद है.