कुवैत ने बुधवार को एक साथ दो महिलाओं समेत 7 लोगों को फांसी की सजा दे दी। और इसके चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुवैत की आलोचना की जा रही है। बताया जा रहा है कि फांसी की सजा पाने वाले सभी हत्या व अन्य अपराधों के दोषी थे।
रिपोर्ट में जानकारी निकलकर सामने आयी है कि कुवैत के तीन शख्स, एक महिला, एक सीरियाई शख्स, एक पाकिस्तानी और एक इथियोपियाई महिला को फांसी से लटकाया गया। सभी दोषियों को कुवैत के सेंट्रल जेल में फांसी दी गयी है. हालांकि यह नहीं बताया गया कि किस विधि से इन्हें फांसी पर लटकाया गया।
पांच सालों में पहली बार कुवैत ने पहली बार दो महिलाओं समेत कुल सात लोगों को फांसी पर लटका दिया है। इसके लिए देश की वैश्विक मंच पर जमकर निंदा की जा रही है। दोषियों को फांसी से बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकताओं ने दया याचिका भी की थी।
एमनेस्टी इंटरनेशनल का मानना है कि मौत की सजा क्रूर और अमानवीय सजा है जो कभी भी न्यायसंगत नहीं हो सकता है। एमनेस्टी इंटरनेशनल की आमना गुएल्लाली (Amna Guellali) ने पहले ही फांसी की सजा पर रोक लगाए जाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था, ‘ मौत की सजा, जीने के अधिकार का उल्लंघन है।’ वहीँ यूरोपीयन यूनियन (EU) ने इस मामले पर कुवैत के राजदूत को ब्रुसेल्स समन करने का फैसला लिया है। दुनिया के सबसे बड़े आयल रिजर्व देशों में सातवें नंबर पर आने वाले कुवैत में फांसी दिए जाने के मामले दुर्लभ हैं।
इससे पहले साल 2017 में इस तरह सामूहिक तौर पर फांसी की सजा दी गई थी। देश में कैदी को मौत की सज़ा देने के लिए फांसी दी जाती है। हालांकि वह मृत्युदंड देने के लिए गोली भी मारते है। कुवैत के लोक अभियोजक ने एक बयान में कहा, “ उन्होंने पीड़ितों को इस दुनिया में उनके सबसे पवित्र अधिकारों से वंचित किया था, जो जीवन का अधिकार है।” कुवैत में साल 2017 के बाद किसी को भी मृत्युदंड नहीं दिया गया था।