जैसा कि भारत के नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने पिछले महीने जुलाई में ही एक ताज़ा घोषणा कर दी थी कि अब पायलट की नौकरी ट्रांसजेंडर को भी दी जायेगी। भारत के पहले ट्रांसजेंडर पायलट ‘एडम हिलेरी’ के मामले में स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि ट्रांसजेंडर लोगों को पायलट का लाइसेंस देने पर अब कोई प्रतिबंध नहीं है. दरअसल डीजीसीए ने पहले हिलेरी को मेडिकल जाँच के आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया था.
व्यावसायिक पायलट का लाइसेंस देने से कभी इन्कार नहीं
DGCA ने चिकित्सा सेवा महानिदेशालय के ग्रुप कैप्टन वाईएस दहिया का हस्ताक्षरित एक बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि डीजीसीए ने हिलेरी को व्यावसायिक पायलट का लाइसेंस देने से कभी इन्कार नहीं किया। ट्रांसजेंडर लोगों के लाइसेंस हासिल करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। यह जरूरी है कि वह विमानन नियम 1937 के तहत उम्र, शिक्षा और चिकित्सा जैसे अन्य मानदंड पूरे करता हो। लाइसेंस लेने के लिए मेडिकल फिटनेस बेहद जरूरी है।
हिलेरी के लिए चिकित्सा को लेकर विश्वस्तरीय दिशा-निर्देशों का पालन
ट्रांसजेंडर व्यक्ति के लिए चिकित्सा मूल्यांकन होना आवश्यक है। साथ ही अगर कोई प्रतिकूल प्रभाव न हो तो हारमोन थेरेपी का इस्तेमाल कोई अयोग्यता नहीं है। डीजीसीए के मुताबिक हिलेरी के मामले में चिकित्सा को लेकर विश्वस्तरीय दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है. तब जाकर उन्हें लाइसेंस दिया गया.